जगदलपुर। बस्तर मे एक ईसाई महिला की मौत के बाद उसे गांव में दफ़नाने को लेकर विवाद ने उग्र रूप धारण कर लिया। इसके चलते दोनों पक्षों में हुए घमासान के दौरान पुलिस के कुछ जवान भी घायल हो गए। इस दौरान जहां एक ओर कलेक्टर, एसपी दोनों पक्षों को शांत करने में जुट रहे वहीं दूसरी ओर प्रदेश भाजपा के निर्देश पर मामले की जांच के लिए पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने गांव में पहुंचकर दोनों पक्षों से बातचीत की।

बस्तर जिला मुख्यालय जगदलपुर से 22 किलोमीटर दूर ग्राम भेजरीपदर में कथित तौर पर इसाई धर्म में शामिल महिला की सामान्य बीमारी के चलते रविवार की सुबह मौत हो गई थी। ईसाई समुदाय के लोग उसका अंतिम संस्कार गांव में ही करना चाहते थे मगर आदिवासी समाज के लोग इसके लिए तैयार नहीं हुए। उनका कहना था कि मूल धर्म में वापस आने के बाद ही जात-पांत और शुद्धिकरण की प्रक्रिया होने पर शव का अंतिम संस्कार गांव में करने दिया जाएगा।
स्थानीय आदिवासी समुदाय के लोग धर्म विशेष के मतांतरित (धर्मांतरित) लोगों का अंतिम संस्कार गांव में करने देना नहीं चाहते। तनाव को देखते हुए प्रशासन और पुलिस की टीम ने दोनों पक्ष से कई दौर की बात की मगर दोनों पक्ष मानने को तैयार नहीं थे। इधर विवाद की स्थिति को देखते हुए गाँव में भारी संख्या में जवानो की तैनाती की गई।


इस दौरान दोनों समुदायों के लोगों के बीच आपसी झड़प भी हुई, हालांकि मौके पर उपस्थित पुलिस की टीम ने दोनों समुदायों को रोकने की कोशिश की। गुस्साए लोगों ने पुलिस के जवानों पर भी पत्थर और डंडे से हमला कर दिया। इस घटना में तीन से चार जवान घायल भी हुए हैं।
24 घंटे तक महिला का शव गांव में सड़क पर ही रखा रहा। सोमवार को कलेक्टर चन्दन कुमार और एसपी जितेंद्र कुमार मीणा ने गांव पहुँच कर ग्रामीणों को समझाइश दी और महिला का अंतिम संस्कार उसके घर के पीछे की जमीन पर किया गया। पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि शव को दफ़नाने के साथ भेजीपदर गांव में मामला शांत करा लिया गया है।

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