अंबिकापुर । सरगुजा जिले के बतौली ब्लॉक के चिरगा में प्रस्तावित एल्यूमिना प्लांट का विरोध बढ़ता जा रहा है। ग्रामीणों ने लाठी- डंडे और तीर -धनुष तक उठा लिए हैं। आज ग्रामीणों ने भूमि का सीमांकन करने नहीं दिया। तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए ग्रामीणों से बातचीत करने के लिए कलेक्टर, एसपी भी पहुंचे। बातचीत के दौरान दोनों सुरक्षा जैकट पहने दिखे।

पिछले 3 दिनों से ग्रामीण हाथों में लाठी-डंडे , तीर-धनुष और गुलेल लिए हुए जमा हो रहे हैं और अपना विरोध जता रहे हैं। प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी ग्रामीणों को समझाइश देने में जुटे हैं ताकि प्लांट स्थापना का काम आगे बढ़ सके, लेकिन ग्रामीण प्लांट खोलने देने के लिए तैयार नहीं हैं। उनका यह विरोध 4 साल से चलता आ रहा है।। ग्रामीणों का कहना है कि प्लांट खुलने से उनकी आजीविका प्रभावित होगी और क्षेत्र प्रदूषित होने से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां बढ़ेंगी।

इस बीच कुछ दिनों से चिरगा क्षेत्र में प्रशासन और पुलिस की सक्रियता बढ़ गई है। बताया जा रहा है कि प्रस्तावित प्लांट के लिए भूमि के सीमांकन का आवेदन दिया गया है। सरकारी अमला इसी सिलसिले में गांव पहुंचा था। इसके लिए भारी पुलिस बल की भी तैनाती की गई थी। अमले को सैकड़ों की संख्या में लाठी-डंडे से लैस ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा। इसकी सूचना मिलते पर ग्रामीणों से बातचीत के लिए कलेक्टर और एसपी भी पहुंचे । ग्रामीण प्लांट नहीं खोलने देने की बात पर डटे रहे और सरकारी अमले को लौट जाना पड़ा।
इस पूरे मामले में जिले के राजनेता मौन हैं। एक तरह से उन्होंने किनारा ही कर लिया है। इन्हीं गांवों में एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे खाद्य मंत्री एवं क्षेत्रीय विधायक अमरजीत भगत को इसी मुद्दे पर ग्रामीणों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा था। उसके बाद वह वहां नहीं गए। ग्रामीणों के इस विरोध का पता चलने पर क्षेत्रीय सांसद श्रीमती रेणुका सिंह गांव में पहुंची थी। उन्होंने ग्रामीणों के पक्ष में खड़े रहने की बात कही थी, लेकिन उसके बाद वह भी दोबारा नहीं पहुंचीं। इस एल्युमिना प्लांट का विरोध दर्जनभर से अधिक गांवों के लोग कर रहे हैं।ये लोग जनप्रतिनिधियों की बेरूखी से भी खफा हैं। उनका कहना है कि प्लांट की स्थापना में सबकी भागीदारी है इसीलिए सब मौन हैं। ग्रामीणों ने कहा कि हम अपनी लड़ाई अपनी ताकत पर लड़ने के लिए तैयार है।

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