नई दिल्ली। Zakir Hussain Passes Away: भारतीय शास्त्रीय संगीत के महान तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन हो गया है। वे 73 वर्ष के थे और अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित एक अस्पताल में हृदय संबंधी समस्याओं के चलते उनका इलाज चल रहा था। उन्होंने अस्पताल में आज अंतिम सांस ली, जिससे संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।

Zakir Hussain Passes Away: उस्ताद जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। वे भारतीय शास्त्रीय संगीत के सबसे प्रभावशाली और प्रसिद्ध तबला वादकों में से एक माने जाते थे। उनका संगीत का सफर बेहद प्रेरणादायक रहा है। उन्होंने मात्र तीन साल की उम्र में तबला बजाना शुरू किया था, और सात साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला सार्वजनिक प्रदर्शन किया था। उस्ताद जाकिर हुसैन को उनके योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले थे, जिनमें भारत सरकार द्वारा प्रदान किए गए पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण प्रमुख हैं। 1999 में उन्हें यूएस नेशनल एंडॉमेंट फॉर द आर्ट्स ने नेशनल हेरिटेज फेलोशिप से सम्मानित किया था, जिससे उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत के वैश्विक दूत के रूप में मान्यता मिली।

Zakir Hussain Passes Away: उस्ताद जाकिर हुसैन के करियर की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि यह थी कि वे पहले भारतीय संगीतकार थे जिन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने व्हाइट हाउस में ऑल-स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट के लिए आमंत्रित किया था। यह संगीत और कला की दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ाने वाला ऐतिहासिक क्षण था। उस्ताद जाकिर हुसैन को उनकी अद्वितीय कला के लिए तीन बार ग्रैमी अवॉर्ड भी मिल चुका था। उनके पिता, उस्ताद अल्लाह रक्खा कुरैशी भी एक प्रसिद्ध तबला वादक थे, और उनकी मां का नाम बीवी बेगम था। जाकिर हुसैन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के सेंट माइकल स्कूल से ली थी और फिर सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। जाकिर हुसैन का संगीत न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में सराहा गया। उनका संगीत प्रेमियों को भारतीय शास्त्रीय संगीत से जोड़ने का एक माध्यम बना। उन्होंने अमेरिका में भी कई बार अपनी कला का प्रदर्शन किया और भारतीय संगीत को वैश्विक मंच पर फैलाया। उनके निधन से भारतीय और वैश्विक संगीत जगत में एक अपूरणीय क्षति हुई है। उनकी विरासत हमेशा संगीत प्रेमियों के दिलों में जीवित रहेगी।

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