“अडानी को रोको, हसदेव बचाओ” का दिया नारा
बिलासपुर। जलवायु परिवर्तन के खिलाफ आवाज बुलंद करके 11 साल की उम्र में दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने वाली मणिपुर की बाल जलवायु कार्यकर्ता लिसिप्रिया कंजुगम ने हसदेव के वनों को बचाने के लिए ‘ग्रेट अक्टूबर मार्च’ निकालने की घोषणा की है। 14 अक्टूबर को निकलने वाला यह मार्च बिलासपुर के नेहरू चौक से हसदेव के वनों तक जाएगा।
अपने ट्विटर हैण्डल पर लिसिप्रिया ने इस ग्रेट अक्टूबर मार्च की घोषणा करते हुए कि अडानी को रोको और हसदेव वनों को बचाने का नारा दिया है। लिसिप्रिया ने कहा है कि इस मार्च में एक हजार से अधिक लोग शामिल होंगे और यह जलवायु परिवर्तन के खिलाफ दुनिया का ऐतिहासिक मार्च होगा।
बता दें हसदेव घने साल वनों का क्षेत्र है और यहां राजस्थान बिजली बोर्ड को उसके ताप बिजलीघरों कोयला उपलब्ध कराने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा कोल ब्लाक आवंटित किया गया है। राजस्थान बिजली बोर्ड ने कोयला खनन के लिए अडानी समूह से करार किया है और पिछले एक दशक से की खदानों से कोयला खनन हो रहा है। कोयला खदानों के लिए करीब दो हजार हेक्टेयर के घने साल वन तबाह हो चुके हैं। हसदेव को बचाने के लिए कोयला खनन का विरोध तब तेज हुआ है जब दोनों खदानों से कोयले की निकासी के बाद उसके विस्तार के लिए करीब 43 हेक्टेयर क्षेत्र में साल वनों की हाल ही में दोबारा कटाई शुरू हुई है। स्थानीय आदिवासियों के साथ कई जनसंगठन इसका विरोध कर रहे हैं। अब इस विरोध में 11 साल की जानी-मानी जलवायु कार्यकर्ता लिसिप्रिया भी जुड़ गई हैं और 14 अक्टूबर को हसदेव के लिए ग्रेट अक्टूबर मार्च में हिस्सा लेनेे की घोषणा की हैं। लिसिप्रिया 8 साल की उम्र में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की सामान्य सभा में हिस्सा ले चुकी है। 14 अक्टूबर के इस मार्च के बाद यह आंदोलन नया रूप लेगा। राज्य सरकार ने पहले ही नई खदानों की अनुमति देने से मना कर दिया है।
हसदेव पर दुनिया का ध्यान जाएगा : प्रथमेश
हसदेव बचाओ आंदोलन के संयोजक प्रथमेश मिश्रा ने कहा है कि इस मार्च से हसदेव अरण्य के महत्व पर दुनिया का ध्यान जाएगा। प्रथमेश मिश्रा हसदेव को बचाने के लिए आमरण अनशन पर थे। राज्य सरकार के स्वास्थ्य मंत्री टी.एस.सिंहदेव के आश्वासन पर कल ही उन्होंने आमरण-अनशन खत्म किया है।