हृदेश केशरी

बिलासपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नगर निगम को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की नसीहत हाल ही में महापौर रामशरण यादव को दी थी जब उन्होंने विकास कार्यों के लिए विशेष सहायता का अनुरोध किया था। दूसरी तरफ माली हालत तंग होने के बावजूद नगर निगम सैकड़ों कर्मचारियों को बिना काम के वेतन का भुगतान कर रहा है। दैनिक वेतन पर काम करने वाले ये वो कर्मचारी हैं, जो या तो पार्षदों या नगर निगम कर्मचारियों के रिश्तेदार हैं।
नगर निगम बिलासपुर की स्थापना में साढ़े आठ सौ अधिकारी कर्मचारी हैं , जिनके वेतन – भत्ते पर हर महीने तीन करोड़ 34 लाख रुपए खर्च होते हैं। इतनी बड़ी स्थापना के बावजूद 300 से अधिक कर्मचारी दैनिक वेतन पर रखे गए हैं। इन्हें 431 रूपए प्रतिदिन के हिसाब से वेतन दिया जाता है। नगर निगम के लिए ये दैनिक वेतन पर काम करने वाले कर्मचारी कौन सा उत्पादक कार्य कर रहे हैं, इसका कोई लेखा-जोखा नहीं है। सूत्रों का कहना है कि इनमें से करीब 80% कर्मचारियों के पास कोई काम नहीं है और वह बिना काम के ही
वेतन प्राप्त कर रहे हैं। नगर निगम के इनके वेतन पर हर महीने करीब 35 लाख खर्च कर रहा है।
नगर निगम के पास गैर योजना मद और आकस्मिक खर्चे के लिए बजट प्रावधान घरेलू आय से करना पड़ता हैं। संपत्ति कर नगर निगम के घरेलू आय का मुख्य जरिया हैं। इसके अलावा विभिन्न करों से भी नगर निगम को आय होती है। करों की वसूली बढ़ा कर आयअर्जित करने की कोशिश में नगर निगम ने एक प्राइवेट कंपनी को करों की वसूली का ठेका दिया था। यह उपाय फेल हो गया और करो कि वसूली दोबारा नगर निगम कर्मचारियों के भरोसे की जाने लगी। हर महीने करीब 10 करोड़ की वसूली का लक्ष्य है, लेकिन यह वसूली एक तिहाई भी नहीं हो पा रही है। समझा जा सकता है कि नगर निगम किन आर्थिक परिस्थितियों से गुजर रहा है। महापौर रामशरण यादव लगातार कोशिश करते रहे हैं कि विकास कार्य को गति दी जाए। इस सिलसिले में वे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ शिव डहरिया से मिलते रहे हैं। अभी हाल ही में उन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाकात भी की थी और विकास कार्यों के लिए विशेष सहायता का अनुरोध किया था। मुख्यमंत्री ने विचार करने का आश्वासन देते हुए नसीहत भी दी कि नगर निगम को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का प्रयास करें। हर छोटे-बड़े कार्य के लिए सरकार का मुंह ताकना ठीक नहीं है। जाहिर है ऐसे में नगर निगम को अपनी आय बढ़ाने के साथ-साथ फिजूलखर्ची रोकने पर भी ध्यान देना होगा। नगर निगम का लगातार बढ़ता गया स्थापना खर्च बड़ी चिंता की बात होनी चाहिए। निगम पदाधिकारियों या अधिकारी कर्मचारियों को उपकृत करने के लिए उनके रिश्तेदारों को नौकरी पर रखना और बिना काम के वेतन देने का मामला बहुत गंभीर है। नगर निगम प्रशासन के लिए यह कम बड़ी चुनौती नहीं है कि विकास कार्य एवं नागरिक सुविधाओं के लिए आर्थिक संसाधन किस तरह बढ़ाया जाए।

निगम के पास संसाधनों की कमी नहीं
नगर निगम बिलासपुर कस्बा से तो संसाधनों की कमी नहीं है। कम इस बात की है कि इन संसाधनों का उपयोग किस तरह किया जाए। निगम अपनी वेबसाइट गतिविधियां बढ़ा सकता है। उसके पास इस तरह की भूमि की कमी नहीं है। करीब 2 साल पहले नगर निगम क्षेत्र का विस्तार हुआ है। क्षेत्र में भी वर्षा की गतिविधियों के लिए काम शुरू किया जा सकता है। व्यवसाई कंपलेक्स बनाकर दुकानें किराए पर दी जा सकती हैं। इस नगर का विकास होगा और निगम की आय भी बढ़ेगी। फिलहाल नगर निगम पास इस तरह की कोई कार्य योजना नहीं है। अगर नगर निगम इन सब कार्यों के लिए कोई प्रस्ताव सरकार को भेजता है तो सरकार भी आय बढ़ाने की दृष्टि से उस पर विचार कर सकता है।

सिर्फ सड़कों की सफाई गलियों की नहीं

नगर निगम में सफाई का कार्य जब से निजी कंपनी को दिया है तब से सफाई व्यवस्था की स्थिति बद से बदतर होती चली गई है। नगर निगम 600 के करीब सफाई कर्मचारी हैं। 6 जून में सफाई का काम निजी कंपनी को दे दिया क्या है। पूरे नगर निगम के सफाई कार्य पर एक करोड़ अस्सी लाग रुपए हर महीने खर्च हो रहे हैं। शहर की स्वच्छता का हाल क्या है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है किस स्वच्छता सर्वेक्षण में बिलासपुर नगर निगम के रैंकिंग 52 वें स्थान पर पहुंच गई है। पिछले साल की तुलना में यह रैंकिंग काफी नीचे है

कर्मचारियों के काम की समीक्षा होगी

नगर निगम कमिश्नर कुणाल दुदावत ने बिना काम के कर्मचारियों को वेतन भुगतान किए जाने के सवाल पर कहा कि कर्मचारियों के काम की समीक्षा कराई जाएगी। दैनिक वेतन पर काम करने वाले कर्मचारियों के बारे में यह देखा जाएगा कि उनकी कितनी आवश्यकता है। नगर निगम ऐसे कर्मचारियों की छटनी भी कर सकता है।

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