बिलासपुर, (Fourthline) l नए कुष्ठ रोगियों की खोज के लिए स्वास्थ्य विभाग सघन अभियान चला रहा हैl बिलासपुर में बहुत से नए कुष्ठ रोगियों की पहचान हुई है l शहरी क्षेत्र में कम और ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा मिल रहे हैं ।बिलासपुर में 3000 में एक कुष्ठ रोगी पाया गया हैl
जिला नोडल अधिकारी गायत्री बाँधी ने Fourthline को बताया सघन कुष्ठ एवं टीबी खोज अभियान दो चरणों में संचालित किया जा रहा है। पहला चरण 1 दिसंबर से 21 दिसंबर तक चलेगा सघन अभियान के तहत 1 से 6 दिसंबर तक 31000 से अधिक लोगों का सर्वे किया गया । इसमें 137 कुष्ठ के नए मरीज मिले , जिन्हें इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है । सीएमएचओ डॉ अनिल श्रीवास्तव के निर्देशानुसार प्रथम चरण अभी चल रहा है ।दूसरा चरण 2 जनवरी 2023 से 17 जनवरी तक चलेगा , जिसमें सभी निजी चिकित्सालय , नर्सिंग होम और प्राइवेट प्रैक्टिशनर और केमिस्टो द्वारा बताये नए मरीजों की पहचान कर पंजीयन किया जाएगा । इसके बाद मरीजों का सैंपल भी लिया जाएगा ।ग्रामीण क्षेत्रों में मितानिन को घर-घर जाकर रोग के लक्षण बताने और नए मरीजों की पहचान करने की जिम्मेदारी दी गई है। जहाँ मितानिन नहीं है वहां कुष्ठ मित्र और मितान की सेवाएं ली जा रही हैं। उन्होंने बताया कि सामुदायिक भवन में सूची बनाई जाएगी और मरीजों को चिन्हांकित कर उन्हें उपचार उपलब्ध कराया जाएगा ।कुष्ठ खोज अभियान में प्रभावी संचालन के लिए अधिकारी कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। इसके लिए टीवी चैनल , आकाशवाणी, समाचार पत्र मास स्क्रीनिंग के साथ-साथ दीवार लेखन का उपयोग भी किया जा रहा है।

सर्वाधिक कुष्ठ रोगी रायगढ़ में

प्रदेश में सर्वाधिक कुष्ठ रोगी रायगढ़ में मिले हैं। फिर जांजगीर-चांपा महासमुंद बलोदा बाजार और इसके बाद बिलासपुर और कोरबा नए रोगी मिल र हैं ।नवागढ़ पामगढ़ सक्ती अकलतरा और डबरा में कुष्ठ पीड़ित मिल रहे हैं। उल्लेखनीय है कि गत दिनों सिम्स में 15 कुष्ठ मरीजों की सर्जरी की गई थी जो अब सामान्य जीवन जी रहे हैं।

होम्योपैथी में नई दवाइयां


होमियोपैथी डॉक्टर के के श्रीवास्तव ने Fourth line को बताया कि होम्योपैथिक में नई और असर कारक दवाइयां हैं जिनसे कुष्ठ रोग जड़ से समाप्त हो जाता है।

मल्टी ड्रग थेरेपी


सिम्स के प्रोफेसर डॉक्टर जे स्वाइन ने fourthline को बताया की मल्टी ड्रग थेरेपी के जरिए मरीज स्वस्थ हो जाता है। इन दिनों यही थेरेपी दी जा रही है ।नए मरीजों पर विशेष ध्यान दिया जाता है । प्रारंभ में ही लक्षण मिलने पर रोगी 3 महीनों के भीतर ठीक हो सकता है।

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