आरक्षण संशोधन विधेयक राजभवन में, राज्यपाल के हस्ताक्षर के इंतजार में 10 दिन निकल गए हृदेश केशरी

बिलासपुर । छत्तीसगढ़ में आरक्षण व्यवस्था के मुद्दे पर अनिश्चितता के कारण छात्र – छात्राओं का साल बर्बाद होने जा रहा है। नए शिक्षा सत्र के छह महीने गुजरने जा रहे हैं और अभी इंजीनियरिंग, फार्मेसी, डीएड, बीएड और कृषि में प्रवेश के लिए काउंसिलिंग की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है। सरकारी भर्तियां रूकी हुई हैं। यह स्थिति आरक्षण को लेकर पैदा हुईं है। राज्य की भूपेश बघेल सरकार नई आरक्षण व्यवस्था लागू करने विधेयक पारित कर दिया है पर राज्यपाल के विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं करने यह लागू नहीं हो पा रहा है। जब तक आरक्षण की स्थिति स्पष्ट नहीं हो जाती तब तक न तो भर्तियां हो सकती हैं और न ही प्रवेश की प्रक्रिया शुरू हो सकती है ।ऐसे में बेरोजगार युवाओं वह छात्र -छात्राओं का भविष्य दांव पर लग गया है।

राज्य की भूपेश बघेल सरकार नई आरक्षण व्यवस्था लागू करने विधेयक पारित कर दिया है पर राज्यपाल के विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं करने से यह लागू नहीं हो पा रहा है। जब तक आरक्षण की स्थिति स्पष्ट नहीं हो जाती तब तक प्रवेश की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकती और न ही भर्तियां हो सकती हैं।।ऐसे में छात्र -छात्राओं व युवाओ का भविष्य दांव पर लग गया है। आरक्षण व्यवस्था पर अनिश्चितता की स्थिति इसलिए पैदा हुईं क्योंकि वर्ष 2012 में तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा लागू किए गए संशोधन को हाईकोर्ट ने असंवैधानिक करार दे दिया। कोर्ट ने 58 प्रतिशत आरक्षण को संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ माना और कहा कि 50 प्रतिशत से अधिक जातीय आरक्षण लागू नहीं किया जा सकता। इस आदेश के बाद सरकार को सरकारी भर्तियां और कालेजों में प्रवेश के लिए काउंसिलिंग रोक देनी पड़ी।

पिछले हफ्ते ही सरकार ने विधानसभा में आरक्षण संशोधन विधेयक पास किया है, लेकिन उस पर राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं करने से मामला जहां का तहां पड़ा हुआ है। युवा बेरोजगारों वह छात्र-छात्राओं को आशा थी कि विधेयक पास होने के बाद जल्दी ही भर्तियां और कालेजों में काउंसिलिंग शुरू हो जाएगी मगर ऐसा नहीं हो सका। आरक्षण पर अभी भी अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है और छात्र -छात्राओं का यह कैलेंडर वर्ष खराब होने जा रहा है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि राजनीतिक कारणों से छात्रों का भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। टेक्निकल पाठ्यक्रम की पढ़ाई जून महीने से शुरू हो जाती है , जो अभी तक शुरू नहीं हो पाई है । टेक्निकल शिक्षा संस्थानों का हाल बुरा हो चुका है क्योंकि एडमिशन नहीं होने से कॉलेज संचालित करना कठिन होता जा रहा है। ये संस्थान कर्ज में डूबते जा रहे हैं। छात्र नेताओं का कहना है कि आरक्षण के मुद्दे को राजनीतिक तौर हल निकाला जाए , छात्रों के भविष्य के साथ ना खेला जाए ।छात्रहित में राज्य सरकार और राज्यपाल को दूरदर्शी ढंग से सोचने की जरूरत है।

छात्र अपनी पढ़ाई को लेकर चिंतित हैं क्योंकि शिक्षा वर्ष के 6 महीने बीतने जा रहे हैं और उनका भविष्य अभी भी अंधकार में डूबा हुआ है। छात्रों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है । उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि काउंसलिंग की प्रक्रिया पुराने आरक्षण में करना है या नए आरक्षण में, इसका कोई आदेश राज्य सरकार से नहीं आया है, जिसके कारण काउंसलिंग की प्रक्रिया रूकी हुई है। उच्च शिक्षा विभाग का कहना है कि हमारी पूरी तैयारी है। हम राज्य सरकार के आदेश का इंतजार कर रहे हैं। कॉलेज प्रबधन भी राज्य सरकार के आदेश का इंतजार कर रहे हैं। निजी कालेजों को शिक्षकों को वेतन देने के लाले पड़ गए हैं। कॉलेज चलाने की समस्या उत्पन्न हो गई है । प्रदेश के कई प्राइवेट टेक्निकल कॉलेज पहले ही बंद हो चुके हैं । काउंसलिंग के बाद एडमिशन प्रक्रिया शुरू होना है जबकि दूसरे राज्यों में टेक्निकल पाठ्यक्रम की पढ़ाई शुरू हो चुकी है। मगर प्रदेश में अभी भी पाठ्यक्रम की पढ़ाई शुरू नहीं हो पाई है।

आरक्षण विधेयक को राज्यपाल मंजूरी दें
आरक्षण विधेयक पर राजपाल को हस्ताक्षर करना चाहिए। भूपेश सरकार ने आरक्षण पर राज्यपाल की सहमति के बाद ही विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था।भूपेश सरकार ने विधेयक पारित कर अपना काम कर दिया है। विधेयक की मंजूरी राज्यपाल के अधिकार में है।
संत कुमार नेताम
प्रदेश अध्यक्ष, आदिवासी महासभा

आरक्षण लागू करने हमारी सरकार गंभीर
सभी वर्गों को आरक्षण का समुचित लाभ दिलाने हमारी सरकार गंभीर है। हमने इसीलिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण संशोधन विधेयक पास किया, जिसमें 76 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। राज्यपाल विधेयक को मंजूरी दे देती तो यह 3 दिसम्बर से ही लागू हो जाता, लेकिन अब ऐसा लग रहा है इस पर राजनीति हो रही है।
मोहन मरकाम
प्रदेश अध्यक्ष
कांग्रेस पार्टी, छत्तीसगढ़

युवा पीढ़ी के साथ अन्याय
भूपेश सरकार ने युवा पीढ़ी के साथ अन्याय किया है। आरक्षण पर आज जो स्थिति है वह सरकार की लापरवाही का नतीजा है। उसने आरक्षण के मुद्दे पर उच्च न्यायालय में जवाब मजबूती से पेश नहीं कर पाई ।
अरुण साव
प्रदेश
अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी

हमारी पूरी तैयारी
काउंसलिंग की प्रक्रिया पर फैसला राज्य सरकार को लेना है। हमें आदेश का इंतजार है । हमारी तैयारी पूरी है।
एस.के. सिंघई
डायरेक्टर, टेक्निकल एजुकेशन, रायपुर

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