रायगढ़ । रायगढ़ सांसद श्रीमती गोमती साय ने आज संसद में रायगढ़ के प्रदूषण का मुद्दा उठाया। श्रीमती साय ने प्रश्न काल के दौरान कहा कि आज रायगढ़ शहर देश में चौथा सबसे प्रदूषित शहर हो चुका। रायगढ़ जिला वर्तमान में प्रदूषणजनित बीमारियों से तेजी से ग्रसित हो रहा है। देश में जब भी प्रदूषण की बात होती है तो केवल दिल्ली पर ही आकर चर्चा सिमट जाती है जबकि छत्तीसगढ़ का सुदूर वनांचल जिला रायगढ़ औद्योगीकरण के चलते प्रदूषण की विकराल समस्या का सामना कर रहा है।

लगभग डेढ़ सौ से ज्यादा छोटे बड़े उद्योगों के अलावा दर्जनों कोयला खदानों से कोयला उत्खनन और परिवहन ने भी यहां के पर्यावरण पर बहुत बुरा प्रभाव डाला है। जल के स्रोत भी प्रदूषित हुए हैं। जिले की जीवनदायिनी केलो नदी का पानी पीने योग्य नहीं रह गया है। फ्लाई एश के अवैध भंडारण में आम जन जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव डाला है। औद्योगिक विस्तार के लिए होने वाली जनसुनवाई में उद्योग नियमों को तार-तार कर अनुमति प्राप्त कर रहे हैं। छोटे झाड़ के जंगल के नाम पर जंगलों की अवैध कटाई की गई है। 

जर्जर हो चुकी सडकों में हो रहे कोल ट्रांसपोर्टेशन और उद्योगों की वजह से रायगढ़ जिले में प्रदूषण लगातार बढ रहा है। एयर क्वालिटी इंडेक्स में रियल टाइम पाल्यूशन की रैंकिंग 363 तक पहुंच गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिले की आबोहवा में सल्फर और पीएम 10 की मात्रा काफी अधिक है जो कि सेहत के लिए खतरनाक है। लेकिन फिर भी इस दिशा में पर्यावरण संरक्षण विभाग कोई पहल नहीं कर रहा है।

  दरअसल औद्योगिक हब कहे जाने वाले मेरे संसदीय क्षेत्र रायगढ़ जिले में पाल्यूशन का अध्ययन कर रही आईआईटी खडगपुर के एक्सपर्ट्स की रिपोर्ट कहती है कि जिले के तमनार, तराईमाल, जामगांव, चुनचुना जैसे इलाकों में पाल्यूशन की मात्रा लगातार बढ रही है।

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