सिरी जीवन प्रोग्राम में डॉक्टर सरला ने बताई मिलेट अपनाने की विधियां
बिलासपुर । आने वाले 15 सालों में हर चार में से एक व्यक्ति डायबिटीज से ग्रसित रहेगा गलत जीवनशैली शरीर को खोखला कर रही है अब समय आ गया है कि लोग मिलेट को अपनाएं और स्वस्थ रहें।
संत विनोबा भावे आश्रम में आयोजित सिरी जीवन प्रोग्राम में पहले दिवस डॉक्टर खादर वली की बेटी डॉक्टर सरला ने लोगों को जीवन उपयोगी टिप्स दिए। उन्होंने बताया आज 960 मिलियन लोगों को डायबिटीज हो चुकी है और हार्ट के पेशेंट भी बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं 40% बच्चों में ओबेसिटी हो रही है और 35% से ज्यादा थायराइड के मरीज हैं । आने वाले 15 साल में हर 4 में से एक को ब्लड प्रेशर और शुगर रहेगा।
उन्होंने बताया अब लोग पैदल चलना लगभग छोड़ चुके हैं और विलासिता भरे जीवन के कारण आलसी हो रहे हैं, जिसके कारण बीमारियां बढ़ रही हैं । उन्होंने तकनीकी रूप से समझाया कि ग्लूकोस का असंतुलन ठीक किया जा सकता है। पूरी पाचन क्रिया में शरीर को एनर्जी के लिए ग्लूकोस चाहिए होता है, लेकिन जरूरत से ज्यादा ग्लूकोस पूरे शरीर के लिए घातक है। उन्होंने बताया शुगर बनने की प्रक्रिया सुबह टूथपेस्ट करते ही शुरू हो जाती है क्योंकि टूथपेस्ट में भी शुगर होती है । इसके बाद चाय कई बार पी जाती है, जिससे लगातार शुगर बढ़ती रहती है क्योंकि शरीर को शुगर की जरूरत नहीं रहती । जितनी आवश्यक शुगर लगती है वह शरीर स्वयं बना लेता है और यह ऊपर से दी जाने वाली बार-बार शुगर के कारण बहुत सी बीमारियों को निमंत्रण देना हो जाता है ।उन्होंने इस धारणा को गलत बताया कि नमक खाने से ब्लड प्रेशर होता है। वास्तव में शक्कर खाने से ब्लड प्रेशर होता है । आज लोग समोसा , कचौड़ी , सलोनी, बिस्किट, नूडल्स, पिज़्ज़ा बर्गर की और बहुत तेजी से भाग रहे हैं। इसके कारण बच्चों में बहुत तेजी से ओबेसिटी बढ़ रही है । उन्होंने बताया चावल और गेहूं में फाइबर नहीं होता यह थोड़ी देर में रक्त में शुगर की मात्रा बढ़ा देते हैं । चावल खाकर कैलोरी बर्न नहीं कर रहे हैं इसी से पूरा सिस्टम खराब हो गया है । उन्होंने बताया चावल और गेहूं का प्रयोग 100 साल पहले सिर्फ त्योहारों पर होता था । उस समय लोग परंपरागत आहार कोदो – कुटकी, मक्का आदि खाया करते थे । अब लोग देसी आहार भूल चुके हैं इसलिए बीमारियां बढ़ रही हैं। जरूरत से ज्यादा शुगर लीवर में जाती है क्योंकि इस शुगर के लिए कोई स्थान नहीं होता । लीवर इसे वसा में बदल देता है और यही वजह है कि लोग मोटे होने लगते हैं । उन्होंने बताया मक्का, ज्वार , बाजरा और रागी न्यूट्रल हैं अर्थात इनके खाने से कोई विशेष फर्क नहीं पड़ता । आज जरूरी है कि कंगनी जिसमें 8% फाइबर होता है , कुटकी जिसमें 10.7% फाइबर होता है, कोदो जिसमें 9.7% फाइबर होता है सांबा जिसमें 10% फाइबर होता है और सबसे महत्वपूर्ण छोटी कंगनी जिसमें 12.5% फाइबर होता है इन्हें अपनाकर सारी बीमारियों से बच सकते हैं। शिविर के पहले दिन 200 से ज्यादा प्रतिभागियों ने आहार से आरोग्य सीखा। कार्यक्रम के संयोजक अनिल तिवारी ने बताया कि शिविर अभी 2 दिन और चलेगा। इसमें आज प्रतिभागियों को मिलेट्स से बना हुआ आहार खिलाया गया।
कंगनी
उन्होंने बताया कंगनी बहुत अच्छा लेट मिलेट है। जिनके घुटनों में दर्द है उनके लिए बहुत ही बेहतरीन है। डैमेज नसों को ठीक करता है । मिर्गी के मरीजों को यह दिया जाए तो बहुत जल्दी स्वास्थ्य लाभ होता है।
कुटकी
उन्होंने बताया कुटकी में 10% फाइबर होता है जो प्रजनन प्रणाली के लिए बहुत उपयुक्त होता है । साथ ही पाचन क्रिया को भी सरल बनाता है
कोदो
कोदो रक्त परिसंचरण के लिए बहुत बेहतर होता है। इसके नियमित सेवन से एलर्जी नहीं होती । इम्युनिटी बढ़ती है । जिन लोगों को प्लेटलेट्स की कमी है वह तुरंत ठीक हो जाती है। इसी तरह सावा और छोटी कंगनी त्वचा व अन्य रोगों के लिए बहुत फायदेमंद होती है।