एयू के कुलपति ने नेचुरोपैथी
संस्थान से किया एमओयू

बिलासपुर। अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के कुलपति डा एडीएन वाजपेयी ने संत विनोबा भावे प्राकृतिक शिक्षा संस्थान के संचालक के साथ समझौता किया गया। इसके साथ ही विश्वविद्यालय में नियमित नेचुरोपैथी कोर्स की पढ़ाई होगी। प्राकृतिक चिकित्सा, प्रशिक्षण विकास और ज्ञान के प्रसार के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए गए ।

कुलपति श्री वाजपेई ने कहा कि इस एमओयू से हमारे यहाँ के छात्रो को बहुत लाभ मिलेगा और बिलासपुरवासियों को भी नेचुरोपैथी सेंटर का लाभ विश्वविद्यालय प्रदान करेगा।
गौरव साहू ने कहा कि नेचुरोपैथी कक्ष व उपचार से संबंधित मशीनें विश्वविद्यालय कुछ समय में ही स्थापित कर लेगा, जिसमें विनोबा भावे संस्थान सहयोग करेगा। कुलसचिव श्री दुबे ने कहा कि विश्वविद्यालय की उन्नति में इस एमओयू का उत्कृष्ट योगदान होगा l एमओयू संयोजक यशवंत पटेल ने दोनों पक्षों को समझौता होने पर बधाई दी l
इस अवसर पर कुलपति डा एडीएन वाजपेयी, कुलसचिव शैलेंद्र दुबे, योग साइंस विभाग के विभागाध्यक्ष गौरव साहू, एमओयू संयोजक यशवंत पटेल , निदेशक डा. गीता, अनिल तिवारी, योग प्राकृतिक विभाग विशेषज्ञ व मुख्य चिकित्सक डा. हरिभाई आर्यन, संतोष केशरवानी, नेचुरोपैथी थेरेपिस्ट अर्जुन भाई प्रमुख रूप से उपस्थित थे।


इन रोगों के उपचार करना
सीखेंगे छात्र-छात्राएं


अनुदेशक मोनिका पाठक ने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति पंच महाभूतों (मिट्टी, पानी, धूप, हवा व आकाश) पर आधारित है। विशेषज्ञों से सलाह लेकर घर पर ही इलाज संभव है। इसके अंतर्गत जोड़ों का दर्द, ऑर्थराइटिस, स्पॉन्डलाइटिस, सियाटिका, पाइल्स, कब्ज, गैस, एसिडिटी, पेप्टिक अल्सर, फैटी लीवर, कोलाइटिस, माइग्रेन, मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, श्वांस रोग, दमा, ब्रॉनकाइटिस, सीओपीडी (क्रॉनिक, ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) व त्वचा संबंधी रोगों का सफलतम उपचार होता है।

हरि भाई आर्यन मुख्य चिकित्सक विनोबा भावे संस्थान ने बताया कि मड बाथ, मिट्टी की पट्टी, वेट शीट पैक (गीली चादर लपेट), हॉट आर्म एंड फुट बाथ (गर्म पाद स्नान), सन बाथ (सूर्य स्नान), कटि स्नान, स्टीम बाथ, एनीमा, स्पाइन स्प्रे बाथ, मॉर्निंग वॉक, जॉगिंग के अलावा उपवास, दूध कल्प, फलाहार, रसाहार, जलाहार द्वारा भी इलाज किया जाता है।

डा. गीता ने बताया कि जुकाम, खांसी, उल्टी – दस्त जैसे रोगों में तीन दिन तक तरल पदार्थ व एनीमा द्वारा इलाज करते हैं। दस्त होने पर मिट्टी रात भर पानी में भिगोकर सवेरे मरीज की नाभि से चार अंगुल की दूरी पर चारों ओर एक-डेढ़ इंच मोटा लेप लगाकर आधे घंटे बाद उसे हटा दें। घुटने के दर्द में मिट्टी को गर्म पानी में मिलाकर लेप लगाएं। जल चिकित्सा में दर्द व सूजन वाली जगहों पर तौलिये को गर्म पानी में भिगोकर रोग ग्रस्त जगह पर रखने से आराम मिलता है। डिप्रेशन या रीढ़ संबंधी रोगों में ठंडा या गर्म रीढ़ स्नान दिया जाता है। मधुमेह के रोगी को हिप बाथ दी जाती है। बुखार में ऊनी-सूती चादर की लपेटने से फायदा मिलता है। विटामिन डी के लिए सूर्य किरण चिकित्सा अपनाते हैं।

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