बिलासपुर। हवाई सुविधा जनसंघर्ष समिति ने केन्द्र सरकार और रक्षा मंत्रालय की बिलासपुर एयरपोर्ट विकास के लिए बेकार पड़ी जमीन के वापसी के मामले में व्यावसायिक नजरिया अपनाने की कड़ी आलोचना की है। गौरतलब है कि लगभग 9 लाख रु. प्रति एकड़ पर ली गयी जमीन जिस पर गत 12 सालों से सेना / रक्षा मंत्रालय ने कोई विकास कार्य नहीं किया और जिस जमीन को भूमि अधिग्रहण कानून के तहत लैप्स हो जाना चाहिए उसे प्रति एकड़ लगभग 15 लाख रू. का लाभ लेकर वापस किया जा रहा है।
हवाई सुविधा जनसंघर्ष समिति ने बताया कि 2011-12 में सेना और रक्षा मंत्रालय के द्वारा बिलासपुर एयरपोर्ट के चारों ओर 1012 एकड़ भूमि अधिग्रहित कर सेना का ट्रेनिंग सेंटर और बड़ा एयरपोर्ट बनाने के नाम पर जमीन ली गई थी। इस हेतु कुल 90 करोड़ की राशि रक्षा मंत्रालय द्वारा राज्य शासन को दी गई थी, परन्तु गत 12 सालों में न सेना ने ट्रेनिंग सेंटर बनाया और न ही हवाई अड्डे का विकास किया। बाद में जब राज्य शासन एयरपोर्ट का विकास करने लगी तब उक्त बेकार पड़ी जमीन को सेना से वापस मांगा गया। राज्य शासन ने इसके लिए सेना द्वारा दिया गया 90 करोड़ रू. भी 2023 में ही वापस कर दिए जबकि राज्य शासन चाहता तो उक्त पैसे को राजसात कर जमीन अधिग्रहण को लेप्स कर सकता था।
पहले तो सेना और रक्षा मंत्रालय ने 90 करोड़ लेकर पूरी जमीन वापस करने की सैद्धांतिक सहमति दे दी थी परंतु सेना ने अपना इरादा बदल लिया। हाल ही में जो 287.65 एकड़ पर एयरपोर्ट पर विकास करने की जो सहमति और एनओसी दी गई है, उसमें उक्त 90 करोड़ में से 7 करोड़ 49 लाख रू. एडजेस्ट करने का स्पष्ट उल्लेख किया गया है अर्थात् रक्षा मंत्रालय ने प्रति एकड़ 24 लाख 56 हजार रूपये के रेट से जमीन वापस की है। अर्थात् प्रति एकड़ 15 लाख रूपये से अधिक का लाभ सेना ने लिया है।
गौरतलब है कि शेष 725 सकड़ जमीन के लिए भी यही फार्मूला अपनाए जाने की संभावना है अर्थात् इस पूरी जमीन के लिए राज्य शासन को बचे हुए 20 करोड़ के अलावा लगभग 158 करोड रू. अतिरिक्त देने होंगे। समिति ने केन्द्र सरकार की इस रवैये की कड़ी अलोचना की है और कहा है कि 4सी एयरपोर्ट निर्माण के लिए अनुदान देने के बजाए केन्द्र सरकार लेप्स होने वाली जमीन पर भी मुनाफा कमा रही है।
हवाई जनसंघर्ष समिति का महाधरना आज भी जारी रहा। इसमें महापौर रामशरण यादव के अनिल गुलहरे, संतोष पीपलवा, रवि बनर्जी, राकेश शर्मा, कमल सिंह, संजय पिल्ले, दीपक कश्यप, समीर अहमद, चन्द्रप्रकाश जायसवाल, प्रकाश बहरानी महेश दुबे, विजय वर्मा, मोहन जायवाल, अकील अली और सुदीप श्रीवास्तव शामिल थे।

