बिलासपुर। Chhattisgarh highcourt: हाईकोर्ट ने पुलिस विभाग से एक दिन की गैरहाजिरी और नशे की हालत में थाने आने के आरोप में बर्खास्त किए गए आरक्षक शंकर लाल को सेवा में बहाल करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति संजय के. अग्रवाल की एकलपीठ ने कहा कि मेडिकल या ब्लड टेस्ट के बिना नशे का आरोप साबित नहीं किया जा सकता, केवल गंध या पंचनामा के आधार पर इतनी बड़ी सजा देना अनुचित है।
Chhattisgarh highcourt: डोंगरगढ़ में पदस्थ आरक्षक शंकर लाल 25 फरवरी 2007 को ड्यूटी से अनुपस्थित रहा। उसी दिन उसके नशे की हालत में थाने पहुंचने और अधिकारियों से दुर्व्यवहार का आरोप लगा। इस पर 18 अप्रैल 2007 को चार्जशीट दी गई और 3 जून 2007 को जांच अधिकारी ने उसे दोषी पाया। 23 जून 2007 को पुलिस अधीक्षक ने सेवा से बर्खास्त कर दिया।
Chhattisgarh highcourt: याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा कि सिर्फ एक दिन की गैरहाजिरी पर बर्खास्त करना अनुचित है। साथ ही, नशे के आरोप की पुष्टि के लिए कोई मेडिकल या ब्लड टेस्ट नहीं किया गया। केवल गंध के आधार पर लगाए गए आरोप को गलत बताया गया और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का हवाला भी दिया गया।

