बिलासपुर, (fourthline)। आज मंगलवार को कांग्रेस बिलासपुर संभाग की 24 विधानसभा सीटों पर मंथन करने जा रही है। सिम्स आडिटोरियम में आयोजित कांग्रेस के संभागीय सम्मेलन में शामिल होने सभी बड़े नेता आ रहे आ रहे हैं।
संभागीय सम्मेलन में छत्तीसगढ़ प्रभारी कुमारी सैलजा, छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष चरण दास महंत, प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम,मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, सहप्रभारी डॉ चन्दन यादव, प्रभारी मंत्री जयसिंह अग्रवाल ,शिक्षा मंत्री उमेश पटेल ,लोकसभा सांसद ज्योत्स्ना महंत समेत राष्ट्रीय पदाधिकारियों की उपस्थिति रहेगी।

बिलासपुर जिले की 24 सीटों में आधी यानी 13 सीटें कांग्रेस के पास हैं तो आधी सीटें भाजपा, बसपा और जोगी कांग्रेस के पास। ऐसे में कांग्रेस संभाग में अपनी चुनावी चुनौतियों को अच्छी तरह समझ सकती है।

24 विधानसभा सीटों में से 13 पर कांग्रेस विधायक

बता दें कि बिलासपुर संभाग में कुल 24 विधानसभा सीटें हैं जिनमें से वर्तमान में 13 कांग्रेस के पास है। सात पर भाजपा, दो जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ और दो बसपा के पास है। सन् 2018 के चुनाव में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ का इस संभाग में अच्छा असर देखा गया था जिसके चलते उसे कोटा, लोरमी की 2 सीटें ही नहीं मिलीं बल्कि बसपा को गठबंधन के कारण से जैजैपुर और पामगढ़ की सीटें भी हासिल हुई।

भाजपा के पास 7 सीटें हैं। इनमें मुंगेली, रामपुर, बिल्हा, बेलतरा, मस्तूरी, अकलतरा और जांजगीर शामिल हैं। इनमें जांजगीर सीट से नारायण चंदेल हैं जो वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष हैं। बिल्हा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक व मुंगेली तथा रामपुर से क्रमशः पूर्व मंत्री पुन्नूलाल मोहले और ननकीराम कंवर विधायक हैं। बिलासपुर संसदीय सीट में भी इस समय प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव सांसद हैं।।

प्रदेश में कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन के बावजूद संभाग की 24 में से 11 सीटें विपक्ष के पास हैं। इसलिए यह सम्मेलन महत्वपूर्ण है। कांग्रेस के पास जो 13 सीटें हैं उनमें एक सीट मरवाही उप-चुनाव के बाद हाथ आई। अन्य सीटों में बिलासपुर, लैलूंगा, रायगढ़,सारंगढ़, खरसिया, धरमजयगढ़, कोरबा, कटघोरा, पाली,तानाखार, सक्ती, चंद्रपुर और तखतपुर हैं।

बिलासपुर जिले की 6 सीटों में 2 ही कांग्रेस के पास है। तखतपुर और बिलासपुर की ये दोनों सीटों को कांग्रेस के लिए इस चुनाव में बचा ले जाने के साथ ही बाकी चार सीटों पर जीत हासिल करना आसान नहीं होगा। हालांकि सत्ता संभालने के कांग्रेस ने संभाग में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है। पार्टी एकजुट होकर चुनाव लड़ सकी तो उसके साथ तमाम संभावनाएं हैं पर पार्टी नेताओं में महत्वाकांक्षाओं की लड़ाई का खामियाजा उसे भुगतना पड़ता है। राजनीति में सत्ता कि एक स्वाभाविक बुराई है कि पार्टी के नेता संघर्ष को भुला बैठते हैं, कांग्रेस भी इससे बच नहीं पाई है ।अब देखना होगा कि इस संभागीय सम्मेलन में जब पार्टी के सभी नेता जुटेंगे तब किन किन बातों पर गौर किया जाता है।



Previous articleकहर बरपाने आ रहा बिपोरजॉय चक्रवाती तूफान, मौसम विभाग ने किया सावधान
Next articleअम्बिकापुर-बनारस मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा देने गडकरी से मिले टेकाम, सौंपी सर्वे रिपोर्ट

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here