• शहीद लालसिंह मांझी की प्रतिमा लगेगी उनके गांँव में- विधायक ढोलकिया, तानवट में कलश यात्रा और जनसभा
महासमुन्द । Martyr Lal Singh Manjhi: आजादी की लड़ाई में लगभग 165 साल पहले शहीद हुए आदिवासी क्रांतिकारी लालसिंह मांझी के गृहग्राम तानवट (सीमावर्ती ओड़िशा प्रांत ) में 22 नवम्बर को उनके सम्मान में कलश यात्रा के साथ एक विशेष जनसभा आयोजित की गयी । जनजातीय गौरव दिवस और शहीद लालसिंह मांझी गौरव दिवस के अंतर्गत यह कार्यक्रम ग्राम्य उन्नयन कमेटी, तानवट के सौजन्य से सम्पन्न हुआ ।
Martyr Lal Singh Manjhi: महासमुन्द (छत्तीसगढ़) के पूर्व लोकसभा सांसद चुन्नीलाल साहू और नुआपाड़ा (ओड़िशा) के नवनिर्वाचित विधायक जय ढोलकिया कार्यक्रम में विशेष रूप से शामिल हुए । तानवट सहित आसपास के गाँवों से बड़ी संख्या में सर्व आदिवासी समाज और अन्य समाजों के लोग भी कार्यक्रम में उपस्थित थे । शहीद लालसिंह मांझी के अनेक वंशज खरियार रोड के निकटवर्ती ग्राम सेमरिया से इस आयोजन में तानवट आए थे । वहाँ कलश यात्रा में महिलाओं की उत्साहजनक भागीदारी देखने को मिली । दोनों राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्रों के अनेक पंचायत प्रतिनिधियों ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
Martyr Lal Singh Manjhi: जनसभा में महासमुन्द के पूर्व सांसद चुन्नीलाल साहू ने कहा कि देश की आज़ादी के लिए वर्ष 1857 की क्रांति में तत्कालीन अविभाजित छत्तीसगढ़ और वर्तमान पश्चिम ओड़िशा के अनेक स्वाधीनता सेनानियों ने भी अपनी कुर्बानियाँ दीं, लेकिन स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में उन्हें पर्याप्त स्थान नहीं मिल पाया ।अब अगर उन भूले -बिसरे शहीदों के शौर्य और महान संघर्षो की जानकारी सामने आ रही है,तो उन्हें याद करना और उनके बलिदानों को सर्वोच्च सम्मान देना हम सबका कर्तव्य है। हमने अपना कर्तव्य समझ कर लालसिंह मांझी जैसे शहीद क्रांतिकारियों को इतिहास में स्थान दिलाने का प्रयास किया है।

Martyr Lal Singh Manjhi: जनसभा को सम्बोधित करते हुए नुआपाड़ा के नवनिर्वाचित विधायक श्री ढोलकिया ने अमर शहीद लालसिंह मांझी की कर्मभूमि ग्राम तानवट में उनकी प्रतीकात्मक मूर्ति स्थापना के लिए पाँच लाख रूपए की धनराशि देने की घोषणा की । उन्होंने यह भी कहा कि इस गांँव को स्वाधीनता संग्रामी ग्राम घोषित करवाने के लिए वे ओड़िशा सरकार से आग्रह करेंगे । पूर्व सांसद श्री साहू ने इसके लिए विधायक श्री ढोलकिया के प्रति आभार व्यक्त किया और हाल ही में हुए उप चुनाव में रिकार्ड मतों से विजयी होने पर उन्हें बधाई दी । श्री साहू ने इस आयोजन को सफल बनाने में उत्साह के साथ सहयोगी बने सभी ग्रामीणों के प्रति भी आभार व्यक्त किया ।
Martyr Lal Singh Manjhi: श्री साहू ने कहा कि तानवट के जमींदार लालसिंह मांझी ने सोनाखान (छत्तीसगढ़ ) के अमर शहीद वीर नारायण सिंह के सुपुत्र को अपने गांँव (तानवट )में संरक्षण प्रदान किया था। अंग्रेज सरकार ने इस आरोप में लालसिंह मांझी को कालेपानी की सजा देकर सुदूर अंडमान द्वीप भिजवा दिया था । तब कोई भी राजा या जमींदार अंग्रेजों के विरोध में आगे नहीं आए तो क्या हम महान योद्धा लालसिंह मांझी को इतिहास की पन्नों से हटा दें? श्री साहू ने कहा कि ऐसे भूले बिसरे शहीदों की शौर्य गाथाओं को वर्तमान पीढ़ी के सामने लाने का प्रयास हमें जारी रखना होगा ।
कालापानी से कभी वापस नहीं आ सके मांझी
श्री साहू ने बताया कि अंग्रेजों ने 6 और 8 नवंबर 1860 को तानवट में लगातार दो बार लालसिंह मांझी के घर पर हमला किया, लेकिन हारने के बाद सम्बलपुर के डिप्टी कमिश्नर ने बंगाल प्रेसिडेंसी के गवर्नर को चिट्ठी लिखी कि लालसिंह को पकड़ पाना संभव नहीं हो पा रहा है । तब बंगाल गवर्नर ने खरियार के राजा कृष्णचंद्र देव पर दबाव डालकर लालसिंह मांझी का समर्पण करवाया। लालसिंह मांझी अपने राजा की आज्ञा का पालन करते हुए उनके दरबार में पहुँचे, जहाँ राजा ने 22नवम्बर 1860 को उन्हें अंग्रेजों के हवाले कर दिया।अंग्रेज हुकूमत ने लालसिंह मांझी को उसी दिन काला पानी (अंडमान द्वीप ) भिजवा दिया, जहाँ से वे कभी वापस नहीं आ सके। इसी दिन को लालसिंह मांझी के बलिदान का दिन भी माना जाता है।
पहले छत्तीसगढ़ में था यह इलाका
श्री साहू ने कहा कि ग्राम तानवट पहले हमारे छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के अंतर्गत महासमुन्द तहसील का ही अंग रहा, जिसे तत्कालीन ब्रिटिश हुकूमत ने वर्ष 1936 में ओड़िशा में शामिल कर लिया था ।आज भी इस इलाके में ओड़िया के साथ -साथ छत्तीसगढ़ी बोली जाती है।इस इलाके की संस्कृति पर भी छत्तीसगढ़ की संस्कृति का गहरा प्रभाव देखा जा सकता है।










