नई दिल्ली/भोपाल। देशभर की स्कूलों की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए मध्य प्रदेश का स्कूल मॉडल लागू होगा। इसके लिए नीति आयोग ने देश के सभी राज्यों से इस मॉडल को अपनाने के लिए सिफारिश की है। जिससे देश भर की स्कूलों में शिक्षकों एवं विषय विषशेज्ञों की कमी तो दूर होगी ही बेहतर शिक्षा भी छात्रों को मुहैया हो पाएगी।

मध्य प्रदेश में एक शाला एक परिसर मॉडल के तहत स्कूलों का मर्ज किया गया है। इस मॉडल के तहत 1 किलोमीटर के दायरे में जितने स्कूल होते हैं, उन्हें मर्ज करके एक स्कूल बनाया गया है। इससे शिक्षकों की कमी पूरी होती है तो वही एक स्कूल में छात्रों को अच्छी शिक्षा मिलती है।

जिन स्कूलों में छात्रों की संख्या 50 से कम होती है उन्हें नजदीक के स्कूल में मर्ज किया जाता है। जिसमें छात्र और टीचर दोनों को संबंधित स्कूलों में भेजा जाता है। ऐसे में नीति आयोग ने यह मॉडल देशभर में लागू करने की सिफारिश की है। मध्य प्रदेश में 35000 स्कूलों को 16000 स्कूलों में मर्ज किया गया। ऐसा करने से शिक्षकों की कमी दूर हुई तो स्कूलों में प्रिंसिपल की कमी भी 55 प्रतिशत तक कम हुई है। इस प्रयोग से सभी विषयों के शिक्षक भी एक ही स्कूल में उपलब्ध हो गए। छात्रों को सभी विषयों के शिक्षक पढ़ाई करने के लिए मिल गए, तो वही अधिकारियों पर भी स्कूलों की निगरानी करने का भार कंम हुआ है। यह मॉडल सफल साबित होने के बाद मध्य प्रदेश में 53651 स्कूलों को एक परिसर वाली स्कूलों का 24667 में विलय करने की योजना भी बनाई है।

नीति आयोग के अनुसार देश भर में 10 लाख शिक्षकों की कमी है। मध्य प्रदेश के एक शाला एक परिसर मॉडल को अपनाने के लिए सिफारिश की गई है। इससे देश भर की स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर होगी तो वहीं स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता भी सुधरेगी।

नीति आयोग ने मध्यप्रदेश के जिस मॉडल को देश के सभी राज्यों में लागू करने के लिए सिफारिश की है। इस मॉडल पर अभी मध्य प्रदेश, उड़ीसा और झारखंड में काम चल रहा है। 

Previous articleसस्ता गैस सिलेंडर बना राजनीति का अहम मुद्दा , सभी  देशवासियों के लिए सस्ता क्यों नहीं?
Next articleरेत तस्करों के पीछे पड़ा गजराज, ट्रैक्टर  खींच कर जंगल में ले जाने लगा

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here