अम्बिकापुर। No FIR for arson in shop: दुकान में आग लगाने की सूचना पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की और दस दिनों बाद पूरी दुकान ही जला दी गई। अब पुलिस ने एफआईआर की है, लेकिन लिखित शिकायत में बताई गई आगजनी की इस घटना की वजह और संदेहियों के नाम का उल्लेख तक नहीं है, जिसे लेकर भी पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि यदि पुलिस ने कार्रवाई की होती तो दुकान का शटर तोड़कर उसमें आग लगाने की किसी की हिम्मत नहीं होती।
No FIR for arson in shop: शहर के अग्रसेन वार्ड में प्रकाशचंद पाण्डेय की कॉस्मेिटिक दुकान में 24 दिसंबर को ज्वलनशील पदार्थ डालकर आग लगाने की कोशिश की गई थी। शटर के बाद कांच की दीवार होने से इस आगजनी की कोशिश में कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। श्री पाण्डेय ने इस घटना की लिखित सूचना पुलिस की दी और यह भी बताया कि इसमें उन्हें किन लोगों पर शक है। उन्होंने यह भी बताया कि उनका इन लोगों से विवाद चल रहा है और आगजनी की कोशिश में उनका हाथ हो सकता है, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। दस दिनों बाद संभवतः उन्हीं लोगों ने दुकान का शटर तोड़कर पूरी दुकान ही जला दी। सीसीटीवी में देखा जा सकता है कि एक नकाबपोश सीढ़ी का उपयोग करता है और दुकान में घुसने के थोड़ी ही देर बाद दुकान से आग की लपटें उठती हैं। ऐसा लगता है कि आग लगाने के लिए अतिज्वलनशील पदार्थ जैसे पेट्रोल का उपयोग किया गया हो।
No FIR for arson in shop: श्री पाण्डेय को उनकी दुकान में आग लगने की सूचना मार्निंग वॉक करने वालों ने दी। वे मौके पर पहुंचे लेकिन वहां कुछ भी नहीं बचा था। बड़े ही सुनियोजित तरीके से दुकान में आग लगाई गई थी । उन्होंने आगजनी की लिखित सूचना थाने में दी, जिसमें उन्होंने 24 दिसंबर को दुकान में आग लगाने की कोशिश की थाने में दी गई सूचना का भी हवाला दिया और बताया कि इस आगजनी में उन्हीं लोगों पर उन्हें शक है जिनके बारे में अपनी पहली लिखित सूचना में बताया था।
दस दिनों बाद एक ही दिन दो एफआईआर
No FIR for arson in shop: पुलिस ने तीन जनवरी की रात की आगजनी की घटना के बाद उसी दिन दो एफआईआर दर्ज की। एक एफआईआर तीन जनवरी की घटना के लिए दर्ज की गई और दूसरी एफआईआर 24 दिसंबर को दुकान में आगजनी की कोशिश की लिखित शिकायत पर दर्ज की गई। लेकिन एफआईआर में लिखित शिकायत में घटना के कारणों और संदेहियों के बारे में जो जानकारी पीड़ित प्रकाशचंद्र पाण्डेय ने दी थी , उसका उल्लेख तक कहीं नहीं किया गया है। इससे पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। आखिर पुलिस ने 24 दिसंबर की लिखित सूचना पर एफआईआर क्यों नहीं लिखी और कोई कार्रवाई क्यों नहीं की। श्री पाण्डेय का मानना है कि यदि पुलिस ने पहली सूचना पर कार्रवाई की होती तो उनकी दुकान नहीं जलाई गई होती।