तेहरान। Iranian presidential election: ईरान में राष्ट्रपति पद के चुनाव के बाद सत्ता में बड़ा उलटफेर हुआ है। पिछले सप्ताह हुए मतदान में सुधारवादी नेता मसूद पेजेशकियान ने कट्टपंथी सईद जलीली को हराकर जीत हासिल कर ली। ईरान में पिछले महीने एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत के बाद पेजेशकियान और जलीली के बीच सीधे मुकाबले के तहत मतदान हुआ था। पेजेशकियन एक करोड़ 63 लाख मतों के साथ विजयी घोषित किए गए जबकि जलीली को एक करोड़ 35 लाख वोट मिले।
Iranian presidential election: ये चुनाव ऐसे समय में हुए हैं, जब इजराइल-हमास के बीच जारी युद्ध को लेकर पश्चिम एशिया में व्यापक स्तर पर तनाव है और ईरान पिछले कई वर्षों से आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। मसूद पेजेशकियन का झुकाव पूर्व राष्ट्रपति हसन रूहानी की ओर है, जिनके शासन के तहत तेहरान ने विश्व शक्तियों के साथ 2015 का ऐतिहासिक परमाणु समझौता किया था। हालांकि, यह परमाणु समझौता रद्द हो गया था और कट्टरपंथी नेता दोबारा सत्ता पर काबिज हो गए थे। हृदय रोग विशेषज्ञ मसूद (69) फिर से परमाणु समझौता करने और पश्चिमी देशों से संबंध बेहतर करने के पक्षधर हैं।
Iranian presidential election: जलीली को सुप्रीम लीडर खामेनेई की करीबी माना जाता है। वहीं पेजेशकियन की छवि सुधारवादी नेता की है। हालांकि वह भी मानते हैं कि सभी मामलों में सुप्रीम लीडर ही आखिरी मध्यस्थ हैं। वहीं जलीली को आयतुल्लाह अली खामनेई का उत्तराधिकारी भी माना जाता था। ईरान के नियमों के मुताबिक अगर राष्ट्रपति किसी कारण से पद पर नहीं रहते तो 50 दिन के अंदर ही चुनाव कराना होता है। उम्मीद जताई जा रही है कि मसूद के राष्ट्रपति बनने से ईरान की विदेश नीति में बदलाव आएगा।