सूरजपुर। Municipal elections: नगरपालिका चुनाव में कांग्रेस ने अध्यक्ष पद पर जीत दर्ज की, लेकिन असली लड़ाई अब उपाध्यक्ष पद को लेकर तेज हो गई है। 18 वार्डों वाले इस चुनावी समर में भाजपा के 8, कांग्रेस के 6 और 4 निर्दलीय पार्षदों की जीत ने समीकरण उलझा दिए हैं। सबसे दिलचस्प स्थिति निर्दलीयों की है, जिन्हें इस चुनाव ने ‘किंगमेकर’ बना दिया है। अब सवाल यह है कि उपाध्यक्ष की कुर्सी किसके हाथ जाएगी,भाजपा, कांग्रेस, या निर्दलीय खुद कोई बड़ा दांव खेलेंगे?
Municipal elections: भाजपा और कांग्रेस के नेता लगातार निर्दलीय पार्षदों से संपर्क कर रहे हैं, लेकिन उनकी चुप्पी ने दोनों दलों की बेचैनी बढ़ा दी है। निर्दलीयों को अपने पाले में करने के लिए दोनों दल एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, लॉबिंग, बैठकें, व्यक्तिगत संपर्क और सियासी जोड़-तोड़ जोरों पर हैं। निर्दलीयों को समर्थन के बदले राजनीतिक फायदे देने के ऑफर भी मिल रहे हैं। भाजपा यहां अपनी चुनावी हार को उपाध्यक्ष की जीत में बदलने की रणनीति बना रही है और नगरपालिका की सत्ता में पकड़ मजबूत करना चाहती है। वहीं कांग्रेस चाहती है कि अध्यक्ष पद के साथ उपाध्यक्ष पद भी उसी के पास रहे, ताकि प्रशासनिक फैसलों पर उसकी पूरी पकड़ बनी रहे।
Municipal elections: चार निर्दलीय पार्षदों में से ललन सोनवानी भाजपा के बागी हैं, तो पुष्पलता साहू कांग्रेस से टिकट न मिलने के कारण निर्दलीय लड़ी थीं। दोनों को उनकी पार्टियों से निष्कासित भी कर दिया गया है। वहीं करमातो राजवाड़े और पिंकी साहू स्वतंत्र विचारधारा के पार्षद माने जा रहे हैं। फिलहाल ये सभी खुलकर किसी भी दल का समर्थन करने का संकेत नहीं दे रहे, और यही उनकी मौन रणनीति भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए परेशानी का सबब बन रही है। अब सवाल यह है कि क्या निर्दलीय किसी दल से समझौता करेंगे या खुद उपाध्यक्ष पद के लिए दावा ठोकेंगे?
Municipal elections: उपाध्यक्ष पद के लिए भाजपा को 2 और कांग्रेस को 4 निर्दलीयों का समर्थन चाहिए। अगर चारों निर्दलीय एकजुट हो जाएं, और किसी दल से समर्थन लेकर खुद भी उपाध्यक्ष बन सकते हैं। उपाध्यक्ष पद की रेस में भाजपा की ओर से राजेश साहू, मुकेश गर्ग, शैलेश अग्रवाल, शैलू और प्रमोद तायल जबकि कांग्रेस की ओर से गैबीनाथ साहू और मंजूलता गोयल प्रमुख हैं। राजेश साहू और गैबीनाथ साहू चार बार के पार्षद हैं और पेशे से अधिवक्ता हैं। मंजूलता गोयल दूसरी बार पार्षद बनी हैं, जबकि बाकी सभी दावेदार पहली बार चुनाव जीते हैं।
Municipal elections: नगरपालिका की राजनीति में उपाध्यक्ष पद के लिए बने इस नए समीकरण ने जनता की जिज्ञासा बढ़ा दी है। उपाध्यक्ष पद के चुनाव की तारीखों का ऐलान अभी बाकी है, जिसे लेकर उत्सुकता बनी हुई है। साथ ही, यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों पार्टियां उपाध्यक्ष पद के लिए किस दावेदार को आगे बढ़ाती हैं। सूरजपुर की राजनीति में यह चुनाव सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि शक्ति संतुलन और राजनीतिक भविष्य का अहम मोड़ साबित होगा!