डिप्टी सीएम सिंहदेव ने जताई इच्छा, यह चुनाव उनका आखिरी चुनाव 

रायपुर। छत्तीसगढ़ में अगली सरकार किसकी बनेगी, इसका फैसला 3 दिसंबर को वोटों की गिनती के बाद होगा, लेकिन अभी से कांग्रेस में मुख्यमंत्री की कुर्सी की चर्चा शुरू गई है। डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने बयान दिया है, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जाहिर करते हुए यह ऐलान तक कर दिया कि उनका यह अंतिम चुनाव है, आगे कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे।

पिछले करीब ढाई साल से होती आ रही चर्चाओं के मुताबिक ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री का फार्मूला भी पिछले चुनाव में तय हुआ था , जो लागू नहीं किया जा सका। इस फार्मूले के मुताबिक ढाई साल बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को टीएस सिंहदेव के लिए कुर्सी खाली कर देनी थी। मंत्रियों और विधायकों के दबाव के कारण इस फार्मूले को लागू करना पार्टी हाईकमान के लिए संभव नहीं हो पाया। आश्चर्यजनक  रूप से इस बार चुनाव नतीजे आने से पहले ही मुख्यमंत्री की कुर्सी की चर्चा शुरू हो गई है। राज्य विधानसभा चुनावों की अंतिम चरण की वोटिंग 17 नवंबर को ही संपन्न हुई है। वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी। इससे पहले किसी नतीजे पर पहुंचने का अर्थ समझना कठिन है क्योंकि आज के मतदाताओं का मन जान लेना पहले जैसा सहज नहीं रहा। पहले के मतदाता सहजता से अपनी राय जाहिर कर देते थे। आज सोशल मीडिया पर बात का बतंगड़ बनने में देर नहीं लगती इसलिए लोग खासकर नई पीढ़ी के मतदाता खुलकर अपनी राय जाहिर करने से बचने की कोशिश करते हैं। ऐसी स्थिति में ओपिनियन पोल, एक्जिट पोल अथवा चुनाव सर्वेक्षणों के निष्कर्षों पर विश्वास करना मुश्किल होता गया है, लेकिन कांग्रेस नेताओं को उनकी सरकार बनती हुई दिखाई दे रही है 

छत्तीसगढ़  विधानसभा चुनावों के कुछ सर्वेक्षणों में राज्य में दोबारा कांग्रेस की  सरकार बनने का अनुमान जाहिर किया गया है। नतीजे आने के बाद इन अनुमानों को परखा जा सकेगा। कुछ सर्वेक्षणों में भाजपा की सरकार बनने की भी संभावना व्यक्त की गई है। इस बीच कांग्रेस में मुख्यमंत्री की कुर्सी की चर्चा ऐसे शुरू हो गई है जैसे कांग्रेस की सरकार तय हो। पिछले ढाई साल से कांग्रेस में मुख्यमंत्री की कुर्सी की चर्चा चली आ रही है। चुनावों से ठीक पहले भी पूछा जाता रहा कि कांग्रेस की सरकार बनी तो अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? जवाब वही कि पार्टी हाईकमान तय करेगा। नतीजे आने से पहले मुख्यमंत्री की कुर्सी की चर्चा का शुरू होने का मतलब है, कांग्रेस की सरकार बनने की पूरी संभावना देखी जा रही है। डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव से अक्सर मुख्यमंत्री की कुर्सी का स्वाभाविक सवाल पूछा जाता है। वे पिछले चुनाव में भी इस कुर्सी की दौड़ में शामिल थे। बताया जाता है कि इसी दौड़ के कारण ढाई-ढाई साल वाला फार्मूला सुझाया गया था। श्री सिंहदेव सरगुजा में इस फार्मूले पर काम करते रहे हैं। नगरीय निकायों में वह ढाई-ढाई साल के लिए उपाध्यक्ष पद पर सहमति बना चुके हैं। 

राज्य की राजनीति अलग होती है और आपसी सहमति के आधार पर चलना मुश्किल भी होता है। ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री वाला फार्मूला नहीं चल सका। एक बार फिर कांग्रेस की सरकार बनती है तो मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर बहस छिड़ सकती है। डिप्टी सीएम के बयान से भी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। टिकटों के बंटवारे में भी देखा गया कि नेताओं ने अपने-अपने समर्थकों को उपकृत करने और विरोधियों को ठिकाने लगाने का भरसक प्रयास किया। इसका उद्देश्य ही यही था कि जब दल के नेता चुनने की बारी  आए तो बहुमत गिनाया जा सके। हालांकि पार्टियों में नेता के चुनाव की महज औपचारिकता ही रह गई है, जिसे नेता चुना जाना होता है उसका नाम दे दिया जाता है। यहां किसी की इच्छा चलती है और ना ही अंकों का कोई गणित। अब मुख्यमंत्री बनने की डिप्टी सीएम श्री सिंहदेव की इच्छा और मुख्यमंत्री बनने का इस चुनाव को आखिरी अवसर बताने का क्या होता है, यह चुनाव नतीजों और पार्टी हाईकमान के रूख पर निर्भर करेगा।

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