रायगढ़ । जिला मुख्यालय रायगढ़ में एक युवा व्यवसायी द्वारा फांसी लगाकर आत्महत्या करने के बाद उसके परिवार वालों ने समाज के अन्य लोगों के साथ मिलकर उसकी शव यात्रा में पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इस आत्महत्या का कारण जुआ सट्टा बताते हुए पुलिस पर इसका ठीकरा फोड़ा। रायगढ़ के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी शव यात्रा में शामिल होनें वाले लोग अपने साथ तख्तियां लेकर निकले हों। लोगों ने जुआ सट्टा को बंद करने व सट्टा खाईवालों को गिरफ्तार करने की मांग की । रायगढ़ शहर के मालधक्का इलाके में रहने वाले युवा व्यवसायी मयंक मित्तल ने एक दिन पहले अपने घर के पास स्थित एक गोदाम में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उस पर क्रिकेट सट्टा व जुआ का लाखों का कर्ज था और उसने परेशान होकर यह कदम उठा लिया। अब परिवार के लोग उसकी मौत के बाद कहते हैं कि इस मामले में दोषियों पर कार्रवाई हो , युवा व्यवसायी ने परेशान होकर यह कदम उठाया है। बताया जा रहा है कि मयंक अग्रवाल क्रिकेट सट्टा खेलता था और पिछले दिनों हुए आईपीएल में लाखों रूपये हारने के बाद शहर के कुछ बड़े खाईवालों तथा लोगों से लाखों का कर्ज लेकर टी ट्वेंटी वर्ल्ड कप में क्रिकेट सट्टे में पैसा लगाया था । उसे भरोसा था कि इस बार सट्टा में जीत कर न केवल कर्ज की रकम उतार देगा बल्कि अपने लिये भी कुछ कर लेगा। मगर इस बार भी सट्टा में हार जाने के बाद लगातार कर्ज चुकाने के लिये लगातर बढ़ते खाईवालों के दबाव के आगे उसने घुटने टेक दिये और मौत को गले लगा लिया। उसकी मौत के बाद मृतक के परिजन इस मामले में दबाव बनाने वाले आरोपी खाईवालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

पुलिस भी हरकत में आई

बीती रात मृतक के परिजनों का बयान दर्ज करने के बाद शहर के थ्री स्टार होटल अंश में बीती रात दबिश दी गई और यहां से सीसीटीवी फुटेज व डीव्हीआर जब्त किया गया है। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों इसी होटल से क्रिकेट सट्टा खेलते कई लोगों को पुलिस ने पकड़ा था, जिनमें से कुछ लोगों को छोड़ भी दिया गया। इनमें होटल संचालक का नाम भी शामिल है।
बहरहाल पुलिस ने अब इस मामले में आरोपियों करण चौधरी उर्फ करण अग्रवाल, शाहबाज, धर्मेन्द्र व अन्य के विरूद्ध धारा 352, 384,306, 34 के तहत जुर्म पंजीबद्ध किया है और करण, अफजल और धर्मेन्द्र को गिरफ्तार करते हुए रिमांड पर जेल भेज दिया है। एक अन्य आरोपी फरार बताया जा रहा है । कोतवाली पुलिस ने तहकीकात के लिये मृतक का मोबाल जप्त कर मोबाल में सेव काल रिकार्ड और मृतक और आरोपियों की बैंक एकाउंट को होल्ड करके जांच में ले लिया है।
दूसरी ओर इसी मामले में संबंधित आरोपियों पर कडी कार्रवाई की मांग को लेकर शहर के अग्रोहा भवन में अपरान्ह 4 बजे सर्व समाज की एक बैठक रखी गई है।
कार्रवाई में खामियां ही खामियां
पिछले कुछ वर्षो के दौरान जुआ और सट्टा के साथ-साथ क्रिकेट सट्टा के खेल ने शहर के युवाओं को न केवल अपनी चपेट में ले लिया है बल्कि कई पढ़े लिखे बेरोजगार भी इसकी चपेट में हैं। ऐसा नही है कि पुलिस इस सामाजिक बुराई के खिलाफ कार्रवाई नही करती है। मगर कार्रवाई इस तरह की होती है जिससे बच निकलने में बड़े खाईवाल हमेशा से सफल होते रहें है और इसी वजह से खासकर शहरी क्षेत्र में सट्टे का कारोबार मकड़जाल की तरह फैल चुका है। इस सामाजिक बुराई पर कारगर अंकुश लगाने के लिये पुलिस अगर वास्तव में सट्टा रोकना चाहती है तो पुलिस को ऐसे अपराधों में 387 की आईपीसी की धारा लगानी चाहिए परंतु आमजन को इसकी जानकारी बहुधा नही होती है। जिसका फायदा हमेशा से पुलिस उठाती है और अपने लोगों को बचाने के लिये धाराओं का खेल खेलते रहती है। यही नही जहां जुआ खिलाया जा रहा था उसके उपर भी कार्रवाई बनती है। मगर पुलिस ऐसे मामलों में हमेशा सेफ गेम खेलते रही है। इस मामले में भी केवल दिखावे वाली कार्रवाई के कारण होटल संचालक के उपर कोई कार्रवाई नही हुई। यही नही जुआ सट्टा के दो केश बनने के बाद धारा 110 सीआरपीसी की कार्रवाई होनी चाहिए पर पुलिस नही करती। केवल कागजी लिखापढ़ी में पुलिस अपना वक्त लगाती है। जिसके कारण पिछले एक साल के दौरान कम से कम रायगढ़ में पुलिस की छवि खराब हुई है।
हालांकि इस पूरे मामले में ऐसा पहली बार हुआ है कि पुलिस के हाथ किसी बड़े खाईवाल तक न केवल पहुंचे है, बल्कि उनके खिलाफ गैर जमानती धाराएं भी लगाई गई है। यही नही पुलिस और खाईवालों के बीच सेतु बनकर सेटिंग कराने वाले कुछ लोग भी इस बार पुलिस के हत्थे चढ़े हैं।

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