नई दिल्ली। AMU Minority Status:  सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक दर्जे को बरकरार रखा है।  7 जजों की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया है, जिसका नेतृत्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने किया। चीफ जस्टिस सहित चार जजों का एक पक्ष फैसला है, जबकि तीन ने अपना अलग मत रखा। सीजेआई चंद्रचूड़, जस्टिस खन्ना, जस्टिस पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा का एक फैसला है। वहीं, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस  दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की राय अलग थी। 

AMU Minority Status: देश के प्रमुख शिक्षण संस्थानों में गिने जाने वाले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना 24 मई 1920 को की गयी थी। उस समय के महान समाज सुधारक सर सैयद अहमद खान ने मुसलमानों को आधुनिक शिक्षा प्रदान करने की जरूरत महसूस करते हुए 1877 में मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कालेज की स्थापना की थी। यही कॉलेज आगे जाकर 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बना। यह आजादी के बाद देश के चार केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में से एक था।

AMU Minority Status: AMU के इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि 1857 की क्रांति ने सर सैयद अहमद खान पर गहरा असर डाला था और उनके परिवार के लोग भी अंग्रेजों की गोलियों का शिकार हुए थे। सर खान ने आधुनिक शिक्षा को हथियार बनाकर अंग्रेजों को सबक सिखाने की ठान ली.श। वह ईस्ट इंडिया कंपनी में शामिल हुए और आधुनिक शिक्षा के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल करने के इरादे से 1870 में इंग्लैंड गए।

AMU Minority Status: वहां उन्होंने ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज जैसे विश्वप्रसिद्ध संस्थानों का दौरा किया और भारत में भी आधुनिक शिक्षा का उजाला फैलाने का सपना देखा। उन्होंने वापस आकर अलीगढ़ में मात्र सात छात्रों के साथ एक मदरसे की स्थापना की। धीरे धीरे छात्रों की संख्या बढ़ने लगी और 1877 में इसका विस्तार करते हुए एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की शुरुआत की गई। यही कॉलेज 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बना जो दुनियाभर में एक प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान के तौर पर प्रसिद्ध है।

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