पूछा – दोषी पुलिसकर्मियों पर क्या कार्रवाई की गई, पीड़ित परिवार को राहत पहुंचाने क्या किया गया

नई दिल्ली । राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग( एनएचआरसी) ने मीडिया रिपोट्रर्स का स्वत: संज्ञान लेते हुए बिलासपुर के बिल्हा थाने में पिता की पिटाई से उपजी ग्लानि में बेटे के ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर लेने की घटना पर छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को नोटिस जारी किया है। इसमें डीजीपी से चार सप्ताह के भीतर मामले में जिम्मेदार पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई सहित पीड़ित परिवार को दी गई राहत के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है ।

आयोग ने कहा है कि मीडिया रिपोट्रर्स की सामग्री यदि सही है तो यह पीड़ितों के जीवन और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन है। जाहिर तौर पर, किसी को बाइक से टक्कर मारने का यह एक मामूली मामला था , लेकिन पुलिस द्वारा किए गए अधिकार के दुरुपयोग के कारण न केवल पीड़ित के पिता को अवैध रूप से हिरासत में लिया, बल्कि उसे बुरी तरह पीटा। 23 साल के बेटे ने अपने पिता को पुलिस द्वारा पिटते हुए देखकर आत्मग्लानिवश ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली और पुलिस कर्मियों की असंवेदनशील और अमानवीय रवैये के कारण एक अनमोल मानव जीवन खो गया ।

आयोग ने छत्तीसगढ़ राज्य के लिए अपने विशेष प्रतिवेदक उमेश कुमार शर्मा को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में संबंधित थाने का दौरा कर यह पता लगाने कहा है कि कि डी.के. बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य 1997 (1) SCC 416 में उच्‍चतम न्‍यायालय के निर्देशों का संबंधित जिले के पुलिस अधिकारियों द्वारा कैसे उल्लंघन किया गया है । यह भी पता लगाने के लिए कहा गया है, जिन्‍होंने कथित रूप से पीड़ित को यातनाएं दी, जो संवैधानिक रूप से निषिद्ध है और यातना के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र अनुबंधों के मुख्य सिद्धांतों के विरुद्ध है, उसके लिए अधिकारियों पर बेहतर जवाबदेही तय करके हिरासत में यातना के इस खतरे को कैसे रोका जा सकता है। उनसे दो महीने के भीतर रिपोर्ट ‍ देने कहा गया है।

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