• अजय गुप्ता, सूरजपुर। Electoral politics: सूरजपुर जिले की राजनीति बदलने जा रही है। भाजपा ने मुरली मनोहर सोनी को नया जिलाध्यक्ष नियुक्त किया है और कांग्रेस में नया जिलाध्यक्ष नियुक्त करने की तैयारी चल रही है। जिले की राजनीति में नए समीकरण उभरने लगे हैं। भाजपा अपने संगठन को और मजबूत करने की रणनीति बना रही है, तो वहीं कांग्रेस भी अपनी स्थिति को सुदृढ़ करने की तैयारी में जुट गई है।
Electoral politics: कांग्रेस जल्द ही अपने नए जिलाध्यक्ष की घोषणा करने वाली है, जिसके लिए नाम तय हो चुका है और सिर्फ औपचारिक घोषणा बाकी है। नवनियुक्त भाजपा जिला अध्यक्ष मुरली मनोहर सोनी लंबे समय से संगठन में सक्रिय रहे हैं और मंडल अध्यक्ष से लेकर दो बार जिला महामंत्री की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। उनकी नियुक्ति से भाजपा को जमीनी स्तर पर मजबूती मिलने की उम्मीद है। आगामी नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में उनकी भूमिका अहम होगी। पार्टी कार्यकर्ताओं में भी नए नेतृत्व को लेकर उत्साह है, जिससे संगठन को नई ऊर्जा मिलेगी। भाजपा के वरिष्ठ नेता भीमसेन अग्रवाल के करीबी माने जाने वाले मुरली मनोहर सोनी को संगठन संचालन का अच्छा अनुभव है। उनके नेतृत्व में पार्टी को एक नई दिशा मिलने की संभावना है।
Electoral politics: निवर्तमान भाजपा जिलाध्यक्ष बाबूलाल अग्रवाल और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ मिलकर वे संगठन को संतुलित और मजबूत बनाने की कोशिश करेंगे। श्री सोनी की छवि एक कुशल संगठनकर्ता की है, लिहाजा उनकी नियुक्ति से कार्यकर्ताओं में उत्साह है। जो मजबूत कार्यकर्ता हाशिये पर थे, उन्हें भी संगठन में तव्वजो मिलने की आशा है। कांग्रेस के नए जिलाध्यक्ष की नियुक्ति के बाद देखना दिलचस्प होगा कि नया राजनीतिक समीकरण आगामी चुनावों में क्या असर डालता है।
भाजपा के सामने चुनौती, कांग्रेस की रणनीति भी तैयार
Electoral politics: भाजपा नए जिलाध्यक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनौती सभी गुटों को साधने और पार्टी को बूथ स्तर तक मजबूत करने की होगी। अगर वे इस कार्य में सफल होते हैं, तो आगामी चुनावों में भाजपा को मजबूती मिलेगी। आने वाले महीनों में होने वाले नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव भाजपा के लिए संगठन की शक्ति दिखाने के अवसर होंगे, जबकि कांग्रेस इन चुनावों में भाजपा कड़ी चुनौती देने की कोशिश करेगी। कांग्रेस संगठन में जल्द बदलाव करने वाली है। पार्टी ने नए जिलाध्यक्ष के लिए नाम तय कर लिया है और बस औपचारिक घोषणा बाकी है। कांग्रेस की कोशिश है कि आगामी चुनावों में बेहतर प्रदर्शन कर अपनी स्थिति मजबूत करे।आगामी नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव दोनों दलों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होंगे। जो भी पार्टी इन चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करेगी, वह अगले विधानसभा चुनाव में अपनी मजबूत नींव तैयार कर सकती है।
दोनों दलों में ओबीसी कार्ड !
Electoral politics: यह पहली बार होगा जब दोनों प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस का जिले में नेतृत्व ओबीसी से होगा! मुरली मनोहर सोनी के रूप में भाजपा ने नेतृत्व ओबीसी को सौंप चुकी है और संभावना जताई जा रही है कि कांग्रेस भी ऐसा कर सकती है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष के रूप में ओबीसी वर्ग से जिले के एक कद्दावर नेता का नाम सबसे ऊपर बताया जा रहा है। अगर कांग्रेस का निर्णय यही होता है तो दोनों ही दलों का नेतृत्व ओबीसी नेताओं के हाथों में होगा। यह स्थिति राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि ओबीसी वर्ग की आबादी जिले में चुनावी राजनीति की लिहाज से महत्व रखती है। यदि कांग्रेस भी ओबीसी नेता को जिलाध्यक्ष नियुक्त करती है तो यह स्पष्ट संकेत होगा कि दोनों दल इस समुदाय को साधने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।