अम्बिकापुर । छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनावों में अभी समय है, लेकिन भाजपा में अम्बिकापुर सीट से उम्मीदवारी को लेकर अभी से घमासान शुरू हो गया है। इस बीच सरगुजा राजपरिवार की दिलचस्पी की भी खबर आई है। राजपरिवार कांग्रेस से जुड़ा रहा है। अगर ऐसा कुछ उलटफेर हुआ तो कइयों के मंसूबों पर पानी फिर सकता है। राजपरिवार के चर्चा में आने से ही दावेदारों की नींद उड़ी हुई है।

वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में पूरे सरगुजा संभाग से भाजपा का सफाया कर देने वाली कांग्रेस के लिए इस विधानसभा में राहें मुश्किल दिख रही हैं । इसी को ताड़ते हुए अम्बिकापुर विधानसभा से भाजपा से चुनाव लड़ने के लिए कई दावेदार तैयार हो रहे हैं । वहीं सियासत की कुछ खिचड़ी सत्तापक्ष में ही हाशिए पर माने जा रहे सरगुजा के कद्दावर नेता के परिवार में भी पक रही है, जिसके कारण दावेदारों को अंतिम समय में मन मारकर रहना पड़ सकता है।
विदित हो कि इसी वर्ष प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने है जिसके लिए उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। पिछले चुनाव में भाजपा के पंद्रह साल के शासन से लोग ऊब चुके थे, जिसके कारण कांग्रेस को इतना प्रचंड बहुमत मिला था । वहीं सत्ता पाने के लिए कांग्रेस ने ऐसे-ऐसे वादे कर दिये थे जो कि कांग्रेस के लिए इस चुनाव में मुसीबत का सबब बन सकते हैं। ऐसा कोई संगठन नहीं बचा जिसके जायज-नाजायज सभी मांगों को एक प्रकार से पूरा करने का आश्वासन कांग्रेस ने पिछले चुनाव में ना दिया हो । अब जब सिर पर चुनाव आ गया है तो जिन संगठनों की मांग अब तक पूरी नहीं हुई है उन्होंने सरकार को घेरना प्रारंभ कर दिया है।

इसके अलावा कांग्रेस राज में सरगुजा संभाग के लोग भी काफी निराश हैं यहां विकास कार्यों का बुरा हाल व नेताओं में अंदरूनी खींचतान से इस चुनाव में कांग्रेस के लिए परेशानी खड़ा होना तय माना जा रहा है। इसी को देखते हुए पिछले तीन-चार सालों से सोये हुए भाजपा के कुछ ऐसे नेता अचानक जागृत हो गए हैं जिन्हें यहां कोई जानता तक नहीं था। इनमें से एक नेता जो कुछ महिने पहले ही रायपुर से आए हैं, वे दिव्यस्वप्न देख रहे हैं कि वे अम्बिकापुर के भावी विधायक बन भी चुके हैं। इनके अलावा भी कई नेता हैं जो कैलेंडर आदि छपवाकर ही खुश हैं। इन सब भावी विधायकों के पास अचानक से चेलों की भी बाढ़ आ गई है।

अब इन नेताओं ने भले ही खुद कुछ भी नहीं किया हो परन्तु इन्हें विश्वास है कि कांग्रेस राज की करनी के कारण इनके भाग्य का दरवाजा खुल सकता है । इसी दिग्भ्रम में एक नेताजी ने पिछले दिनों होटल में पत्रकारों को डिनर खिलाकर अपने पक्ष में माहौल बनवाने के हसीन सपने देखे थे परन्तु देर रात को उनका होटल में ज्यादा खा-पी चुके एक दो पत्रकारों से ही झगड़ा हो गया। इधर कुछ को यह गलतफहमी भी है कि उनके प्रताप को देखते हुए पार्टी वाले खुद उनसे अम्बिकापुर विधानसभा में उतरने के लिए कहने वाले हैं और इसी भ्रम में वे चेलों के साथ महफिल जमाकर अपनी डींगे हांक रहे हैं पर इस सियासत में वह भी संभव है जिसके बारे में किसी ने कल्पना भी नहीं की हो तो ऐसे में अम्बिकापुर सीट से कोई पुराना कांग्रेसी अगर भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतर जाए तो इस पर किसी को हैरान होने की आवश्यकता भी नहीं है क्योंकि इसका भी धुंआ लम्बे समय से उठ रहा है।

पूरे शहर में यह चर्चा है कि सरगुजा राजपरिवार के सदस्य को इस बार भाजपा से अम्बिकापुर विधानसभा का टिकट मिलने की पूरी संभावना है । स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने स्वयं एक साक्षात्कार के दौरान इस संबंध में पूछे गए सवाल पर कहा था कि अगर धुंआ उठा है तो कहीं आग लगी होगी। उनके इस जवाब में ही सरगुजा के संभाग मुख्यालय की विधानसभा सीट की तस्वीर काफी कुछ साफ हो गई है।
ऐसे में जब भाजपा के नेताओं के लिए यहां दरवाजे बंद होते दिख रहे हैं तो कांग्रेस के दूसरे नेताओं के लिए दरवाजा खुलता भी दिख रहा है ऐसे में इस बात की चर्चा अब ज्यादा हो रही है कि कांग्रेस से अम्बिकापुर सीट पर कौन ताल ठोकेगा। वैसे चुनाव को अभी 8 महीने बाकी हैं ऐेसे में सरगुजा संभाग में कई बड़े उलटफेर दोनों ही प्रमुख पार्टियों में देखने को मिलने की संभावना है। अब भाजपा के दावेदारों का क्या होगा यह तो समय ही बताएगा।

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