बिलासपुर। Land demarcation dispute: बिलासपुर जिले के तहसील बोदरी में भूमि सीमांकन को लेकर एक गंभीर विवाद सामने आया है। ग्राम पंचायत प.ह.नं. 3 रा.नि.मं. स्थित भूमि खसरा नंबर 1561/1 और 1561/3 में पिछले कुछ महीनों से किसानों को मानसिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। किसान परिवारों ने इस मामले में प्रशासन से जल्द कार्रवाई की मांग की है।

Land demarcation dispute: बिलासपुर प्रेस क्लब में आकर पीड़ित किसानों ने अपनी समस्या बताई। पीड़ित देवी प्रसाद कौशिक और कृष्णा केवट पति साखन केवट ने बताया कि  भूमि खसरा नंबर 1561/1 का पहले रकबा 3.88 एकड़ था, जो कि लोक निर्माण विभाग और राष्ट्रीय राजमार्ग द्वारा अधिग्रहित किया गया था। इसके बाद इस भूमि का शेष रकबा 2.76 एकड़ वर्तमान में मनमोहन कौशिक के नाम पर दर्ज है। वहीं, खसरा नंबर 1561/3 में रकबा 0.44 एकड़ था, जिसमें से 0.28 एकड़ भूमि भी लोक निर्माण विभाग और राष्ट्रीय राजमार्ग द्वारा अधिग्रहित की जा चुकी है। शेष भूमि 0.16 एकड़ खेदूराम के नाम पर दर्ज है।

Land demarcation dispute: मौजूदा समय में, समीपस्थ कृषि भूमि के स्वामी अमितेष आगरे ने खसरा नंबर 1560/1 और 1560/2 में सीमांकन कराने का प्रयास किया है, लेकिन सीमांकन प्रक्रिया में देरी हो रही है। हाल ही में 11 दिसंबर 2023 को सीमांकन रिपोर्ट तैयार की गई, लेकिन किसानों को बिना सूचना के ही पंचनामा तैयार कर दिया गया, जिससे किसानों में नाराजगी है। बाद में, किसानों ने 23 जनवरी 2024 को तहसीलदार के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई, जिस पर आज तक कार्रवाई न हुई।

Land demarcation dispute: इस मामले में किसानों का आरोप है कि खसरा नंबर 1561/1, 1561/3 और अन्य अधिग्रहित भूमि में अमितेष आगरे द्वारा अवैध कब्जा करने की कोशिश की जा रही है। साथ ही, लोक निर्माण विभाग और राष्ट्रीय राजमार्ग द्वारा अधिग्रहित भूमि पर भी अवैध कब्जे की कोशिशें हो रही हैं, जिसे तत्काल रोका जाना जरूरी है। किसानों ने यह भी बताया कि उन्हें सीमांकन से संबंधित जानकारी नहीं मिल पा रही है। तहसीलदार से सीमांकन का आवेदन प्रस्तुत करने के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इसके साथ ही, एस.डी.एम. बिल्हा के कार्यालय में भी मुआवजे की जानकारी के लिए जब किसानों ने आवेदन किया, तो उन्हें एक ही सड़क का अलग-अलग नक्शा दिया गया, जिससे और भी भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई।

Land demarcation dispute: किसानों का कहना है कि वे पिछले एक साल से मानसिक और आर्थिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं। अगर जल्द कोई कदम नहीं उठाया गया, तो स्थिति और बिगड़ सकती है। किसानों ने प्रशासन से अपील की है कि इस मामले में जल्द से जल्द उचित कदम उठाए जाएं, ताकि भविष्य में कोई अप्रिय घटना घटित न हो। किसानों ने मांग की है कि भूमि के सीमांकन के लिए एक नई टीम का गठन किया जाए और अन्य अधिकारियों को इस प्रक्रिया में शामिल किया जाए, ताकि पारदर्शिता बनी रहे और भूमि विवाद का समाधान हो सके।

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